मूर्ख पंडित हिंदी नैतिक शिक्षा कहानिया

एक मूर्ख पंडित जंगल में एक पेड़ एक नीचे देवी माँ दुर्गा की पूजा पाठ कर रहा था उसकी इस पूजा पाठ से खुश होकर माँ दुर्गा प्रकट हुई और पंडित से बोली ।

मैं तुम्हारी पूजा से बहुत खुश हु आंखे खोलो पंडित जी बोलो तुम्हे क्या चाहिए मैं तम्हे एक वरदान दे सकती हूँ बोलो तुम्हे क्या चाहिए ।

पंडित में संजीवनी बूटी की इच्छा जताई और मा दुर्गा ने अपने हाथो संजीवनी बूटी प्रकट की और पंडित को देते हुए कहा कि तुम्हारी पूजा से प्रसन्न होकर मैं तुम्हे यह संजीवनी बूटी दे रही हूँ तुम कसी भी तुम इस से किसी भी मरे हुए प्राणी को जिंदा कर सकते हो और माँ दुर्गा वहा से अन्तर्ध्यान हो गयी  ।

पंडित संजीवनी बूटी पाकर बहुत खुश था और घर जा रहा था लेकिन रस्ते में उसके मन में के बात आई की कही दुर्गा माँ के द्वारक दी गयी संजीवनी बूटी नकली तो नहीं है इसलिए इसको एक बार परिक्षण करके देखना चाहिए । हो सकता है वह ऐसे ही घास के पत्ते हों , मुझे कैसे पता चलेगा की यह असली संजीवनी बूटी है या नकली।

तो उसको रस्ते में एक मारा हुआ शेर मिला, मूर्ख पंडित ने सोचा मैं क्यों न इसी पर अजमा कर देख लूँ की यह संजीवनी असली है या नकली, वह शेर के पास गया और संजीवनी बूटी को हाथो में लिए मसलने लगा और शेरे के उपर डालने लगा।

तभी शेर धीर धीरे जिंदा होने लगता है ,और पंडित खुश हो जाता है, कि अरे वह यह तो असली की बूटी है। अब तो मैं मृत्यु पर विजय पा लूँगा और सारे गाँव वाले मेरी पूजा करेंगे। तब तक शेर खड़ा हुआ और जोर से दहाड़ने लगा , पंडित की चौंक गए और सोचने लगे।

“यह मैंने क्या किया शेर को जिंदा कर दिया वाह अब मैं किसी को भी जीवित कर सकता हु ” ।

वह वहां से भागने लगा और शेर भी उसके पीछे पीछे भागने लग गया और शेर ने उस मुर्ख पंडित को मार डाला और अपना शिकार बना डाला।

मूर्ख पंडित हिंदी नैतिक कहानी से सीख

तो दोस्तों अपने इस कहानी से यह सीखा कि हमको को भी काम बिना सोचे समझे नहीं करना चाहिए। किसी भी काम को करने से पहले हमें सोच विचार करना चाहिए की वह काम हमारे लिए सही है या गलत ।अगर बिना सोचे समझे कोई काम करेंगे वो वही हाल होगा जो मूर्ख पंडित का हुआ ।

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