एक बहुत पुराने समय की बात थी एक जंगल था जिसमें एक शेर और शेरनी अपने दो बच्चो के साथ रहती थी। शेर जंगल का राजा और शेरनी उस जंगल की रानी थी। दोनों एक दूसरे से और दो बच्चे से भी बहुत प्यार करते थे। परंतु दोनों के स्वाभाव में जमीन आसमान का अंतर था ।

शेर एकदम विनम्र और सभ्य और समझदार था। जंगल के सभी जानवर शेर का बहुत सम्मान करते थे। अगर जंगल में किसी भी जानवर की लड़ाई हो जाए तो शेर उनका समाधान निकालता।

दूसरी तरफ शेरनी को अपनी ताकत बहुत घमंडी थी । उसको अपनी ताकत पे बहुत घमंड था वह उस जंगल में हर किसी को अपने से छोटा मानती थी । शेरनी किसी भी जानवर से बात नहीं करती थी यहाँ तक की वह अपने दोनों बच्चों को भी जंगल के किसी जानवर के साथ खेलने नहीं देती थी। खेलते थे तो डाट कर वापस अपनी गुफा में बाला लाती थी |

अगर वो कभी जंगल में जाती तो किसी से सीधी बात नहीं करती थी बल्की मुंह दूसरी तरफ करके जो भी जानवर बात करने की कोशिश करता उसका अपमान करके चली जाती थी।

एक दिन की बात है जब शेरनी और बच्चे दोनों खाना खा रहे थे। तब अचानक पीछे से एक जहरीला सांप उसके बच्चों को मारने के लिए आ रहा था और धीरे-धीरे बच्चों की तरफ बढ़ने लगा। शेरनी को इस बात का पता भी नहीं चला किन्तु गिद्धने उसे देख लिया। उसने उस सांप को मार डाला। उसने शेरनी के दोनों बच्चों की इस तरह जान बचाई।

शेरनी इतनी घमंडी थी की उसको शुक्रिया करने के बदले अपने बच्चों को लेकर वहां से चली गई। इस बात से गिद्ध को बहुत बुरा लगा और उसने ये बात अपने दोस्त भालू बन्दर और सभी जानवरो से बताई सभी जानवर बहुत नाराज हुए |

एक बार शेरनी और बच्चे नदी किनारे खेल रहे थे। शेरनी को थकान के कारन नींद आ गई और वह सो गई। शेरनी के दोनों बच्चे मां को बिना बताए अकेले ही वहां से चले गए।

जब शेरनी की नींद खुली तब उसने देखा तो बच्चे वहां नहीं थे। वह बहुत डर गई और घबरा गई क्योंकि शेर भी वह नहीं था । वह जंगल में अपने बच्चों को इधर उधर ढूंढने लगी।

उसने बंदर मामा को देखा और पूछा कि “तुमने मेरे बच्चों को देखा?”

बंदर यह सोच में पड गया की शेरनी मुझसे बात कर रही है हमेशा तो ये हम लोगो का अपमान करती है और सीधे मुँह बात भी नहीं करती है ।

उसने कहा कि, “शेरनी जी आप मुझसे बात कर रही है क्योंकि मैं जब भी आपसे प्रणाम करता था तब आप अपना मुंह दूसरी ओर कर चली जाती थी। इसीलिए मैं यह बात पूछ रहा हूं।”

यह सुनकर शेरनी को बहुत बुरा लगा। अपने व्यवहार पर उसे काफी शर्मिंदगी महसूस हुई। वह वहां से चली गई।

वहां रास्ते पर एक हाथी मिला। उसने हाथी से अपने बच्चों के बारे में पूछा और रोने लगी ।

हाथी ने कहा कि, “में तो एक पागल हाथी हूं ना! आप तो मुझे हमेशा यही कहती थी। तो मुझे कैसे पता?”

शेरनी यह सुनकर कुछ भी बोले बिना वहां से चली गई।

ऐसा कर सब शेरनी को कुछ ना कुछ बोलने लगे जो शेरनी इन्हे हमेशा अहंकार में आकर कहती थी।

यहां तक कि जगल में रहने वाले एक चूहेने भी मदद करने से मना कर दिया।

उसने कहा कि, “ मैं तो एक नासमझ और बहुत छोटा चूहा हूँ ना! तुम मुझे यह ही कहती थी। तो मुझे कैसे मालूम?

यह सब देख कर शेरनी को अपनी भूल समझ में आई और उसने अपने अहंकार के लिए सब से माफी मांगी और उसे बड़ा पछतावा और फिर वह रोने लगी।

सब जानवर ने उन्हें माफ किया और उनके बच्चों को ढूंढने लगे।

गिद्ध ने उनके बच्चे को एक पहाड़ पर खेलते हुए ढूंढ लिया। शेरनी बच्चों को देखकर बहुत खुश हुई और गिद्ध को थैंक्यू बोला और वह सब के साथ अच्छे से जंगल पर रहने लगी।

नैतिक शिक्षा –
हमें कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए और अच्छे से बात करना चाहिए । हमें हमेशा सब के साथ अच्छे से रहना चाहिए । हमें नहीं पता की जिसका हम अहंकार में आकर अपमान करते है उसकी जरूरत जीवन के किस मोड़ पर पड़ जाये |

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