हिंदी नैतिक शिक्षा कहानिया

Hindi short stories with moral for kids |Hindi Moral Stories | Hindi Naitik Siksha Kahaniya 

1. गधे की लात और भेड़िया

एक बहुत समय पुरानी बात है जंगल में गधा आराम से रहता था एक बार उसको प्यास लगी तो वो   मे स्थित एक तालाब में गया और गधा उस तालाब में पानी पीने लगा था तब उसने देखा की एक भेडिया इसके पास आ रहा है ये देख कर वो घबरा गया उसे लगा की आज भेडिया उसको खा जायेगा ये सोच कर वो अपना दिमाग दौड़ने लगा की कैसे इससे बचे |

काफी दिमाग दौड़ने के  बादमे उसको एक उपाए सूझा  उसने भेडिये को पास आता देख के कर खुद लंगडाते हुए चलने लगा तब भेडिया पास आकर कहने लगा की तुम ऐसे क्यु चल रहे हो तो गधा बोला की शायद‌ मेरे पैर मे कांटा लग गया हैं अगर आप इसको निकालने मे मेरी मदद करो तो बडी मेहरबानी होगी

इतना सुन के भेडिया गधे के पैर मे कांटा देखने लग गया व मौका पा कर गधे ने भेडिये के सर पर जोर से लात मार दी भेड़िया घायल होकर जमीन पर गिर गया और वो उसका पीछा नहीं कर पाया व गधा वहा से भाग गया और भेडिया वही पर घायल पडा रहा इस तरह गधे ने अपनी बुद्धि से जान बचायी |

शिक्षा – मुश्किल के समय मे बुद्धि से काम लेना चाहिए

2. शेर का आसन और सेना 

शेर जंगल का राजा होता है। वह अपने जंगल में सब को डरा कर रहता है वैसे भी शेर से सारे जंगल वाले डरते है क्यों की वो शिकार करलेता है । शेर बड़ा और बलशाली होता है। एक दिन शहर का राजा जंगल में घूमने गया। शेर ने देखा राजा हाथी पर आसन लगा कर बैठा है और उसके आगे पीछे सैनिक चल रहे है । शेर के मन में भी हाथी पर आसन लगाकर बैठने का और पीछे जंगली जानवरो की सेना लेकर चलने का विचार आया । शेर ने जंगल के सभी जानवरों को बताया और आदेश दिया कि हाथी पर एक आसन लगाया जाए और पीछे जंगली जानवरो का झुण्ड सेना की तरह चले । बस क्या था झट से आसन लग गया और अभी जानवर सेना की तरह क़तर बढ़ होकर चलने को तैयार हो गए । शेर उछलकर हाथी पर लगे आसन मैं जा बैठा इस आसान को बन्दर राजा ने लकड़ी से बनाया था । हाथी जैसे ही आगे की ओर चलता है , आसन हिल जाता है और शेर नीचे धड़ाम से गिर जाता है। शेर की टांग टूट गई शेर खड़ा होकर कहने लगा – ‘ पैदल चलना ही ठीक रहता है। ‘

शिक्षा – जिसका काम उसी को साजे , कोई काम आपको पूरी तरह सीख कर ही करना चाहिए शेर ने आदमी की नक़ल करनी चाही और परिणाम गलत साबित हुआ।

3. रेलगाड़ी का इंजन 

रिंकी बहुत प्यारी लड़की है और कक्षा तीसरी में पढ़ती है। एक दिन उसने अपनी किताब में रेलगाड़ी देखि तो वह रेलगाड़ी में घूमने के सपने देखने लगी और उसका भी मन रेल यात्रा करने का करने लगा उसको रेलगाड़ी काफी सुन्दर लगी । उसे अपनी रेल – यात्रा याद आ गई , जो कुछ दिन पहले पापा – मम्मी के साथ की थी। रिंकी ने चौक उठाई और फिर क्या था  दीवार पर रेलगाड़ी का इंजन बना दिया। उसमें पहला डब्बा जुड़ गया , दूसरा डब्बा जुड़ गया , जुड़ते – जुड़ते कई सारे डिब्बे जुड़ गए। जब चौक खत्म हो गया रिंकी उठी उसने देखा कक्षा के आधी दीवार पर रेलगाड़ी बन चुकी थी। फिर क्या हुआ – रेलगाड़ी दिल्ली गई , मुंबई गई , अमेरिका गई , नानी के घर गई , और दादाजी के घर भी गई।

शिक्षा – बच्चों के मनोबल को बढ़ाइए कल के भविष्य का निर्माण आज से होने दे।

4. शरारती चूहा

गोलू के घर में एक शरारती चूहा आ गया। वह बहुत छोटा सा था मगर सारे घर में भागा चलता था। उसने गोलू की किताब भी कुतर डाली थी। कुछ कपड़े भी कुतर दिए थे। गोलू की मम्मी जो खाना बनाती और बिना ढके रख देती , वह चूहा उसे भी चट कर जाता था। चूहा खा – पीकर बड़ा हो गया था। एक दिन गोलू की मम्मी ने एक बोतल में शरबत बनाकर रखा। शरारती चूहे की नज़र बोतल पर पड़ गयी। चूहा कई तरकीब लगाकर थक गया था , उसने शरबत पीना था।

चूहा बोतल पर चढ़ा किसी तरह से ढक्कन को खोलने में सफल हो जाता है। अब उसमें चूहा मुंह घुसाने की कोशिश करता है। बोतल का मुंह छोटा था मुंह नहीं घुसता। फिर चूहे को आइडिया आया उसने अपनी पूंछ बोतल में डाली। पूंछ शरबत से गीली हो जाती है उसे चाट – चाट कर चूहे का पेट भर गया। अब वह गोलू के तकिए के नीचे बने अपने बिस्तर पर जा कर आराम से करने लगा।

शिक्षा – मेहनत करने से कोई कार्य असम्भव नहीं होता।

5. बिल्ली बच गई

गोलू – मोलू दो भाई थे। दोनों खूब खेलते , पढ़ाई करते और कभी-कभी खूब लड़ाई भी करते थे। एक दिन दोनों अपने घर के पीछे खेल रहे थे। वहां एक कमरे में बिल्ली के दो छोटे-छोटे बच्चे थे। बिल्ली की मां कहीं गई हुई थी , दोनों बच्चे अकेले थे। उन्हें भूख लगी हुई थी इसलिए खूब रो रहे थे। गोलू – मोलू ने दोनों बिल्ली के बच्चों की आवाज सुनी और अपने दादाजी को बुला कर लाए।

दादा जी ने देखा दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे थे। दादा जी ने उन दोनों बिल्ली के बच्चों को खाना खिलाया और एक एक कटोरी दूध पिलाई। अब बिल्ली की भूख शांत हो गई। वह दोनों आपस में खेलने लगे। इसे देखकर गोलू – मोलू बोले बिल्ली बच गई दादाजी ने गोलू – मोलू को शाबाशी दी।

शिक्षा – दूसरों की भलाई करने से ख़ुशी मिलती है।

6. यश के तीन खरगोश राजा

यश का कक्षा तीसरी में पढ़ता था। उसके पास तीन छोटे प्यारे प्यारे खरगोश थे। यश अपने खरगोश को बहुत प्यार करता था। वह स्कूल जाने से पहले पाक से हरे-भरे कोमल घास लाकर अपने खरगोश को खिलाता था। और फिर स्कूल जाता था। स्कूल से आकर भी उसके लिए घास लाता था।

एक दिन की बात है रितेश को स्कूल के लिए देरी हो रही थी। वह घास नहीं ला सका , और स्कूल चला गया। जब स्कूल से आया तो खरगोश अपने घर में नहीं था। यश ने खूब ढूंढा परंतु कहीं नहीं मिला। सब लोगों से पूछा मगर खरगोश कहीं भी नहीं मिला।

यश उदास हो गया रो-रोकर आंखें लाल हो गई। यश अब पार्क में बैठ कर रोने लगा। कुछ देर बाद वह देखता है कि उसके तीनों खरगोश घास खा रहे थे , और खेल रहे थे। यश को खुशी हुई और वह समझ गया कि इन को भूख लगी थी इसलिए यह पार्क में आए हैं। मुझे भूख लगती है तो मैं मां से खाना मांग लेता हूं। पर इनकी तो मैं भी नहीं है। उसे दुख भी हुआ और खरगोश को मिलने की खुशी हुई।

शिक्षा – जो दूसरों के दर्द को समझता है उसे दुःख छू भी नहीं पता।

7. दोस्त का महत्व

देवांश गर्मी की छुट्टी में अपनी नानी के घर जाता है। वहां देवांश को खूब मजा आता है , क्योंकि नानी के आम का बगीचा है। वहां वेद ढेर सारे आम खाता है और खेलता है। उसके पांच दोस्त भी हैं , पर उन्हें देवांश आम नहीं खिलाता है।

एक दिन की बात है , देवांश को खेलते खेलते चोट लग गई। देवांश के दोस्तों ने देवांश को उठाकर घर पहुंचाया और उसकी मम्मी से उसके चोट लगने की बात बताई, इस पर देवांश की मम्मी उससे दोस्तों के साथ मिलकर हॉस्पिटल ले गयी और दवाई दिलवाई और उनके दोस्तों को धन्यवाद कहा |

मम्मी ने उन दोस्तों को धन्यवाद किया और उन्हें ढेर सारे आम खिलाएं। देवांश जब ठीक हुआ तो उसे दोस्त का महत्व समझ में आ गया था। अब वह उनके साथ खेलता और खूब आम खाता और खिलता था ।

शिक्षा – दोस्त सुख – दुःख के साथी होते है। उनसे प्यार करना चाहिए कोई बात छुपाना नहीं चाहिए।

8. मुर्गा की अकल ठिकाने लग गयी 

एक समय की बात है एक गांव में ढेर सारे मुर्गा रहते थे। गांव के बच्चे शैतान तो होते ही है गांव के बच्चे ने किसी एक मुर्गे को तंग कर दिया था। अब गांव के बच्चे उसे रोज तंग करने लगे तोमुर्गा परेशान हो गया उसको बहुत गुस्सा आया और उसने सोचा की अगले दिन सुबह मैं आवाज नहीं करूंगा। सब सोते रहेंगे तब मेरी अहमियत सबको समझ में आएगी , और मुझे तंग नहीं करेंगे। मुर्गा अगली सुबह कुछ नहीं बोला। सभी लोग समय पर उठ कर अपने-अपने काम में लग गए इस पर मुर्गे को समझ में आ गया कि किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता। सबका काम चलता रहता है।

शिक्षा – घमंड नहीं करना चाहिए। आपकी अहमियत लोगो को बिना बताये पता चलता है।

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