एक जंगल की बात है एक खरगोश था जिसके पास एक जंगल में एक छोटा सा प्यारा सा घर था। खरगोश अपने घर को बहुत अच्छे से रखता था ।लेकिन उसकी एक बुरी आदत थी वह दिन भर खाता ही रहता था लेकिन वह जितना भी खा ले उसकी भूख ही नहीं मिटती थी। एक दिन खरगोश के कुछ दोस्त उसको मिलने आये उसने उनके साथ मिलकर एक खाने का प्लान बनाया और कहने लगा की रोज एक ही तरीके का खाना खा खा कर मेरा मन भर गया है, मुझे कुछ अच्छा खाना है। चलो पास वाले खेत में चलते हैं। वहां हमको जरुर कुछ अच्छा मिल जायेगा और बाकि के सभी खरगोशो ने भी हाँ में हाँ मिलाया और इसके बाद सारे खरगोश वहां से खेत की तरफ चल दिए। जैसे ही वह खरगोश वहां पहुंचे तो उन्होंने देखा कि खेत में मटर मक्का गाजर मूली शकरकंद और बहुत सारी सब्जियां लगी हुई हैं ।

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अब सभी अपने आपस में बाते करते हैं कि सभी जल्दी जल्दी खाना नहीं तो खेत का मालिक आयेगा और हमको बहुत मारेगा और फिर वे सभी खेत की सब्जियां खाने लगते हैं। इतने में खेत का मालिक उनको देख लेता है एक खरगोश की नज़र खेत के मालिक पर पड़ी और उसने सबको बताया और सचेत किया, सभी खरगोश वहाँ से भाग खड़े हुए। लेकिन भुक्कड़ खरगोश अभी भी वहां खाने में लगा हुआ था ।

अचानक खरगोश की नज़र खेत के मालिक पर पड़ी जो लाठी लेकर खरगोश की तरफ आ रहा था। खरगोश ने भी खेत के मालिक को देखा और वहां से भागने लगा लेकिन उसने इतनी सब्जियां खा ली थी कि उस से भागा भी नहीं जा रहा था। और खेत का मालिक उसके पीछे पीछे दौड़ रहा था। रस्ते में एक काँटों वाली झाडी थी जहाँ से बाकि के खरगोश आसानी से कूद गए थे मगर भुक्कड़ खरगोश वहां से आसानी से कूद नहीं पाया। उसने बहुत मेहनत की और झाडी पार की।

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भुक्कड़ खरगोश ने झाडी पार तो कर ली मगर उसके पैरो पर बहुत सारे कांटे बैठ गए थे। खेत का मालिक झाड़ी पार नहीं कर सका इसलिए वह वहाँ से वापस अपने घर चला गया । मगर खरगोश को रस्ते में एक लोमड़ी मिली जो खरगोश के पीछे दौड़ने लगी। खरगोश जैसे तैसे करके घर के दरवाजे तक पहुंचा जहा उसके बाकी दोस्त उसका इन्तेजार कर रहे थे। जब खरगोश अपने दरवाजे पर पहुंचा तो वह दरवाजे से अंदर ही नहीं घुस पाया क्योंकि उसका पेट खा खा कर बहुत फूल गया था। उसके दोस्तों ने उसको अंदर खींचें की बहुत कोशिश की मगर उसको अंदर नहीं खींच पाए। इतने में दौड़ते दौड़ते लोमड़ी भी वहां पहुंची और भुक्कड़ खरगोश की पूँछ पकड़ ली ।

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खींचा तानी में भुक्कड़ खरगोश के दोस्त उसको अंदर खींच रहे और लोमड़ी बाहर खींच रही थी। अचानक से भुक्कड़ खरगोश की पूंछ टूट गयी और लोमड़ी पूँछ के साथ बहुत दूर जाकर गिरी और भुक्कड़ खरगोश के दोस्तों ने उसको अंदर खींच लिया। और उन्होंने दरवाजे बंद कर दिए, और भुक्कड़ खरगोश में अपनी इस आदत की वजह से अपनी पूँछ गवां दी ।

कहानी से सीख –
तो चाहे वह खाना हो पीना या कुछ और जरुरत से ज्यादा हो तो नुकसान ही करता है। इसलिए जितनी भूख हो उतना ही खाना खाना चाहिये ।

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