चार सुन्दर मटको की कहानी

पुराने समय पहले की बात है किसी गांव में एक कुम्हार रहता था वह बहुत अच्छे व सुन्दर मिटटी बर्तन बनाता था। जहा वह रहता था वह उस समय शीत ऋतू चल रही थी एक बार, और बर्तन बनाते समय उस कुम्हार ने चार घड़े बनाये। वह घड़े बहुत बड़े और बहुत सुन्दर और कलात्मक थे। इतने सुन्दर और बड़े होने के बावजूद भी कुम्हार के सभी तरह के बर्तन तो बिक रहे थे लेकिन उन चार घडो का को कोई नहीं खरीद रहा था । इस बात को लेकर चारो घड़े बहुत दुखी और चिंतित रहते थे। एक ही जगह रह कर वो चारो बोर हो गए थे| काफी दिन बीत गए और घड़े नहीं बिके जिसकी वजह से वे चारो घड़े खुदको बिना किसी के काम के और बेकार समझने लगे। एक दिन चारो घड़े अकेले रहे गए थे, और अकेलेपन को मिटाने के लिए चारो घड़े आपस में बात करने लगे।

पहला घड़ा बोला मैं तो एक बहुत बड़ी और सुन्दर मूर्ति बनना चाहता था, ताकि किसी अमीर के घर की शोभा बढ़ा सकूँ लोग मुझे देखते और मैं गर्व महसूस करता लेकिन मैं तो एक घड़ा ही बन कर रह गया जिसको आज कोई नहीं पूछता।

दुसरे घड़े ने भी अपनी परेशानी बताई और बोला किस्मत तो मेरी भी ख़राब है। मैं तो दिया बनना चाहता था ताकि लोगो के घर में रोज जलता और चारो रौशनी ही रौशनी बिखेरता लेकिन देखो क्या किस्मत है मेरी, केवल एक घड़ा बन कर रह गया।

इनकी बातो को सुनकर तीसरे घड़े से भी नहीं रहा गया और वह भी कहने लगा किस्मत तो मेरी भी ख़राब है मुझे पैसो से बहुत प्यार है। मैं तो एक गुल्लक बनना चाहता था। अगर मैं एक गुल्लक होता तो लोग मुझे ख़ुशी से ले जाते, और मुझे हमेशा पैसो से भरा रखते, लेकिन देखो मेरी किसमत मैं केवल एक घड़ा मात्र बनकर रह गया।

अब अपनी अपनी बात कहने के बाद तीनो घड़े उस चौथे घड़े की तरफ देखने लगे , चौथा उन तीनो घडो को देखकर मुस्कुरा रहा था, जिसको देखकर तीनो घड़े हैरान हो गए और उस से कहने लगे भाई क्या आपको घड़ा बनने का दुःख नहीं है ? क्या आप खुश हैं कि तीन महीने बीत गए हैं और अबतक आपका कोई भी खरीददार नहीं मिला ?

इस बात पर चौथा घड़ा मुस्कुराया और बोला, आप तीनो क्या समझते हो क्या मैं दुखी नहीं हूँ ? मैं तो एक खिलौना बनना चाहता था छोटे छोटे बच्चे बच्चे मुझसे खेले वो बहुत खुश हों। और उनकी प्यारी सी हंसी और ख़ुशी को देखकर मैं भी खुश होता। लेकिन कोई बात नहीं हम एक उद्देश्य में असफल हो गए तो क्या, दुनिया में अवसरों की कमी नहीं एक गया तो आगे और मिलेंगे बस धैर्य रखो और इन्तेजार करो।

बस फिर क्या था बाकि तीनो घडो के मन में भी ख़ुशी छा गयी। बस एक महीना और बीता था और गर्मियों के मौसम की शुरुवात हो चुकी थी, और लोगों को ठन्डे पानी की जरुरत महसूस होने लगी थी।

लोगो ने गर्मी में ठन्डे पानी के लिए घड़े खरीदने शुरू कर दिए, चारो घड़े बड़े और सुन्दर तो थे ही, लोगों ने जैसे ही उन्हें देखा तुरंत बड़े दामों में उन्हें खरीद लिया। आज वह घड़े सैकड़ो लोगों की प्यास बुझाते हैं और बड़े में ख़ुशी और दुआए पाते हैं।

शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की दुनियां में बहुत से ऐसे लोग हैं जो वह नहीं बन पाते जो वह बनना चाहते थे। ऐसा होने पर लोग खुदको असफल महसूस करते हैं। और हमेशा अपनी किस्मत को दोस देने लगते हैं। कुछ लोग एक उद्देश्य रखते हैं और उसे पाने के लिए पूर्ण प्रयास भी करते हैं, जो की सही भी है। लेकिन जब असफलता हाथ लगती है तो अपनी किस्मत को कोसते हैं और पूरा दोस दूसरों को देते हैं।

हमे अपने जीवन में ध्यान देने वाली बात यह है कि क्या हुआ हम अपने पहले उद्देश्य में असफल हो गए क्या हुआ । यदि आपके साथ भी कभी ऐसा हो तो कभी भी खुदको असफल मत मनना, क्योंकि एक अवसर चला गया तो क्या हुआ। दूसरा अवसर आपकी राह देख रहा है। यदि विफलता मिल ही रही है तो घबराने की बजाये खुद पर विश्वास रखो और धैर्य रखो आप अंत में सफल जरूर हो जाओगे।

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